06- 06- 22धारावाहिक मकाफात - ए - अमल episode 9
ज़ोया लाइब्रेरी में बैठी मोबाइल चला रही थी तभी उसके मोबाइल पर किसी की कॉल आती जिसे देख वो घबरा जाती और डरते हुए कहती " अब्बू का फ़ोन वो भी इस समय देखती हूँ उठा कर "
ज़ोया ने फ़ोन उठाया और सलाम किया। और फ़ोन करने की वजह पूछी घबराते हुए
"कुछ नही बेटा घबराओं नही सब ठीक है , बस तुम्हारे कॉलेज के पास से गुज़र रहा था तो सोचा फ़ोन करके पूछ लू कि कही तुम्हारी छुट्टी तो नही हो गयी तो साथ में ही लेता चलु " अशफ़ाक़ साहब ने कहा
ज़ोया घबराते हुए कहती " न,,, न,,, नही अब्बू अभी कॉलेज में पढ़ाई हो रही है और वैसे भी मैं पढ़ रही हूँ क्यूंकि अगले हफ्ते एग्जाम,,, ये कहते कहते ज़ोया चुप हो गयी
"ये किया कह दिया ज़ोया तूने " ज़ोया ने अपने आप से कहा
"एग्जाम, किस चीज का बेटा तुम्हारे तो एग्जाम में अभी समय है " अशफ़ाक़ साहब ने पूछा
ज़ोया घबरा कर बात बनाते हुए बोली " अ,,,, अ,,,, अब्बू वो मेरे कहने का मतलब था की आने वाले एग्जाम के लिए पढ़ रही हूँ अभी से ही तैयारी करूंगी तभी तो अच्छे नंबर से पास हो पाऊँगी "
"ठीक है बेटा, मन लगा कर पढ़ो और जब छुट्टी हो तो रिक्शा पकड़ कर घर आ जाना, बसों के धक्के मत खाना बहुत गर्मी है आज और खाना खा लेना अगर नही खाया हो तो " अशफ़ाक़ साहब ने कहा
"ठीक है अब्बू, अच्छा अब्बू अब मैं फ़ोन रखती हूँ लाइब्रेरी में फ़ोन पर बात करना मना है इसलिए " ज़ोया ने कहा
"ठीक है बेटा, ध्यान से घर आना अल्लाह हाफ़िज़ " ये कह कर उन्होंने फ़ोन रख दिया
ज़ोया ने फ़ोन रखकर अपने माथे पर हलके से मारा और कहा " बेवक़ूफ़ कही की अभी अपना सारा भांडा अपने ही मुँह से फोड़ देती शुक्र है बच गयी वरना आज तो मैं गयी थी काम से "
ये कह कर ज़ोया ने सामने रखी किताब को बंद किया और मोबाइल में लग गयी ।
तभी हम्माद का मैसेज आया जिसमे लिखा था " कि वो आ रहा है उसे लेने फिर साथ में आइसक्रीम खाने चलेंगे और नारियल पानी पीने भी "
ये मैसेज पढ़ ज़ोया ने उससे आने को मना कर दिया और कहा " कि अब्बू यही कॉलेज के आस पास ही है आज , जरूर कुछ सामान खरीदने आये होंगे अगर उन्होंने देख लिया तो बेवजह क़यामत आ जाएगी इसलिए आज कोइ कही नही जाएगा आज मैं रिक्शा पकड़ कर सीधा घर जाउंगी "
हम्माद ने बहुत ज़बरदस्ती की उससे मिलने की लेकिन ज़ोया नही मानी और आखिर में वो दोनों नाराज़ हो गए जोया ने मोबाइल बंद कर दिया और किताबों को बैग में भरकर कैंटीन चली गयी जहाँ उसकी और दोस्ते बैठी थी ।
उसने गुस्से में अपना बैग मेज पर रखा और दो समोसे लाने को कहा, उसे गुस्से में देख उसकी दोस्तों ने वजह पूछी इस तरह तपने की.
वो बोली कुछ नही बस ऐसे ही थोड़ा मूड ख़राब हो गया है थोड़ी देर में सही हो जाएगा।
उसके बाद उन सबने वहा समोसे पकोड़े खाये और क्लास रूम की तरफ चली गयी । ज़ोया हम्माद के मैसेज का इंतज़ार कर रही थी लेकिन उसका कोइ मैसेज नही आया । ज़ोया को और गुस्सा आ गया और मन ही मन ना जाने क्या कुछ कहती हुयी वो कैंटीन से क्लास रूम की तरफ बढ़ती चली गयी ।
दोपहर हो चली थी , तबरेज दुकान पर काम कर रहा था तभी वहा अनुज आ जाता अपने स्कूल के बाद।
"आओ , आओ अनुज केसा रहा तुम्हारा स्कूल " तबरेज ने पूछा
"अच्छा था , बहुत मज़ा आया आज स्कूल में " अनुज ने कहा
"बहुत अच्छा, चलो अब दुकान का थोड़ा ध्यान रखना मैं और साद खाना खा कर आते है।" तबरेज ने कहा
और अंदर कुर्सी पर मोबाइल में गेम खेल रहे साद को आवाज़ दी और कहा " साद खाना खाने चलो दोपहर हो गयी है, अनुज देख लेगा दुकान "
"अच्छा भाई " साद ने कहा
अनुज साद को देख कर मुस्कुराया, लेकिन साद अपने मोबाइल में ही लगा रहा और उसे नज़र अंदाज़ करके तबरेज के साथ चला गया ।
"तो आज तुमने किया सीखा साद " तबरेज ने पूछा चलते हुए
"साद ने बात अनसुनी करदी "
तबरेज ने दोबारा पूछा
इस बार उसने कहा " कुछ सीखने को था ही कहा कुछ वही बड़े बड़े इंजन और डीजल की गंदी बदबू मेरे तो दिमाग़ में घुस गयी सारी बदबू "
उसके मुँह से इस तरह सुन तबरेज खामोश हो गया
साद ने अपने कानो में हैडफ़ोन लगा लिए और गाने सुनते हुए उसे पीछे छोड़ कर आगे अपने घर की और निकल गया
तबरेज भी घर चला गया अपने।
साद जैसे ही घर में घुसा रुकय्या ने उसे अपने गले से लगा लिया और कहा " आ गया मेरा लाल इतनी गर्मी में दुकान पर से चल अंदर चल ठंडा ठंडा पानी पी और नहा धो ले फिर खाना खिलाती हूँ तुझे कितना काला हो गया एक ही दिन में "
"बेवजह ही अब्बू ने मुझे उस दुकान पर बैठा दिया डीजल की गंदी बदबू सूँगने के लिए , आप ने भी कुछ नही कहा, मेरे दोस्त इस तरह मुझे देखेंगे तो किया कहेँगे वो देखो वो जा रहा है गाड़ियों का मैकेनिक । समी को तो नही भेजा मेरे साथ मुझे ही बली का बकरा बना दिया बेवजह ।" साद ने कहा
रुकय्या उसे अंदर ले जाकर बोली " अरे मेरे बच्चे समझा कर , तेरे अब्बू की दुकान पर बहुत से लोग अपनी नज़र गड़ाए बैठे है , कि कब बुड्ढा अल्लाह को प्यारा हो, और उस दुकान को हथ्या ले।
जब तक तेरे अब्बू उस दुकान पर जाते थे तो मुझे इतना डर नही लगता था । क्यूंकि जो कमाई वो करते थे सब उन्ही कि जेब में जाती थी । लेकिन अब तेरे अब्बू बीमार रहने लगे है जिसका फायदा वहा काम करने वाले वो दोनों उठा लेंगे। तेरे अब्बू की आँखों पर तो बहन और भांजे की मोहब्बत की पट्टी बंधी हुयी है । वो दोनों जैसा कहते है तेरा बाप उसे ही सच समझ लेता है । इसलिए तू उन दोनों पर कड़ी नज़र रखना और हाँ, गल्ले पर तू ही बैठना उस तबरेज और या फिर उस अनुज को मत बैठने देना और हाँ दुकान पर आते जाते सभी ग्राहकों का हिसाब भी तू ही रखना । तू और समी मालिक हो उस दुकान के और वो दोनों नौकर । तू उनके साथ अपने हाथ और कपडे काले मत करना तू तो बस गल्ले पर बैठ कर हिसाब रखना और देखना कही दोनों में से कोइ कुछ सामान चोरी छिपकर बेच तो नही रहा है। और हाँ जितनी जल्दी हो सके उन दोनों को उस दुकान से निकालने का बंदोबस्त करना उन्हें रंगे हाथो पकड़ कर ताकि तेरे बाप को भी तो पता चले की उनकी नाक के नीचे लोग क्या क्या गुल खिला रहे है "
साद ये सब सुन एक गहरी सी सास लेता और कहता " ठीक है अम्मी, वैसे भी मुझे कहा सीखना है वो काला काम, मुझे तो बिज़नेस करना है और आप फ़िक्र मत करो उन दोनों का बंदोबस्त में करके रहूंगा "
रुकय्या ने उसका माथा चूमा और कहा " शाब्बाश मेरे बेटे मेरी दुआ है तू एक कामयाब बिज़नेस मन बने चल अब नहा ले आज मेने तेरे पसंद का खाना बनाया है "
साद कुछ पूछता तभी समी वहा आ जाता और कहता " हाँ भाई आज तो तेरी पसंद का खाना बना है वैसे भी आज तुम काले भूत जो बन कर आये हो दुकान से "
साद ये सुन गुस्से में उसके पीछे दौड़ा और बोला " तुझे छोडूंगा नही मुझे काला भूत कह रहा है "
रुकय्या उसे रोकते हुए बोली " शोर मत करो तुम्हारे अब्बू सो रहे है चल अब जल्दी से खाना खा आराम कर और फिर दुकान पर जा कही दोनों पीठ पीछे कुछ बेच ना दे "
"क्या फिर जाऊ दुकान पर " साद ने मुँह बना कर कहा
"और क्या, अभी तुझे इतना पहाड़ा पढ़ कर सुनाया है की तेरा दुकान पर जाना क्यू जरूरी है , तू फिर पूछ रहा है की फिर जाना है " रुकय्या ने कहा
"अच्छा चलो पहले कुछ खाने को तो दो, उसके बाद देखूँगा जाना है की नही " साद ने कहा और नहाने चला गया
"ओए समी , तू भी जा दुकान पर दिन भर घर में पड़ा रहता है " रुकय्या ने कहा
"मुझे नही जाना उस कबाड़ खाने पर , मुझे तो बस विदेश जाना है बस पैसो का इंतेज़ाम हो जाए, फिर देखना मैं कैसे बाहर जाकर डॉलर कमाता हूँ " समी ने कहा
"मरजानये हलके बोल तेरे बाप ने सुन लिया कि तू विदेश जाने कि तुक में है , तो तुझे और तेरे साथ मुझे भी बाहर का रास्ता दिखा देंगे। अब जा यहाँ से जाकर पढ़ाई कर " रुकय्या ने कहा
समी वहा से गुनगुनाता हुआ चला गया ।
"पता नही इन दोनों नामांकूलो को कब समझ आएगी ये नही बाप का हाथ बटाए एक को बिज़नेस मैन बनना है तो दूसरे को विदेश जाना है डॉलर कमाने । रब्बा इन्हे अक्ल दे।" रुकय्या ने अपने आप से कहा और अंदर चली गयी ।
वही दूसरी तरफ ज़ोया बार बार मोबाइल देख रही थी कि कही हम्माद का मैसेज तो नही आया । लेकिन उसने उसे कोइ मैसेज नही किया ज़ोया बेहद गुस्से में थी थोड़ी देर बाद कॉलेज ख़त्म हो गया और वो रिक्शा स्टैंड पर खड़ी रिक्शा का इंतज़ार कर रही थी । उसकी नज़रे हम्माद को ढूंढ रही थी लेकिन वो वहा नज़र नही आ रहा था ।
ज़ोया का गुस्सा सातवे आसमान पर था । वो रिक्शा में बैठ कर घर आ गयी और अपना बस्ता फेक कर कमरे में चली गयी गुस्से में मोबाइल को भी स्विच ऑफ कर दिया।
बिना खाना खाये ही सो गयी । जब उसकी आँख खुली तो शाम हो चुकी थी । सेहर उसके पास खड़ी उससे पूछ रही थी कि उसे क्या हुआ है क्यू आज इस तरह वो उदास चादर तान कर सो गयी कॉलेज से आकर ।
ज़ोया ने कहा " कुछ नही अम्मी बस थक गयी थी , आज गर्मी भी बहुत थी , अम्मी बस कड़क चाय मिल जाती तो सारी थकान उतर जाती "
"अच्छा अभी बना कर लाती हूँ " सेहर ने कहा और चली गयी
ज़ोया ने अपना मोबाइल दोबारा चेक किया लेकिन अब भी हम्माद का कोइ मेसेज नही था ज़ोया अपने आप से बोली " मैं भी नही करूंगी देखती हूँ कब तक नाराज़ रहता है मुझसे , जब कह रही थी की आज अब्बू बाजार में है और अगर उन्होंने यूं इस तरह मुझे उसके साथ बाइक पर देख लिया तो बेवजह मुसीबत आ जाएगी इतनी सी बात उस गधे की समझ में नही आ रही थी , देखती हूँ कब तक सॉरी का मैसेज नही भेजता है अगर वो ज़िद्दी है तो मैं उससे बड़ी वाली ज़िद्दी हूँ "
क्या हम्माद ज़ोया को सॉरी का मैसेज भेजेगा , क्या वो उससे दोबारा रिश्ता rak के लिए उससे बात करेगा जानने की लिए पढ़ते रहिये हर सोमवार को धारावाहिक की नए एपिसोड में जब तक के लिए अलविदा।
Kaushalya Rani
08-Jun-2022 05:29 PM
Nice✍️🌹
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Joseph Davis
07-Jun-2022 11:13 PM
Awsm
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Shnaya
07-Jun-2022 01:36 AM
बहुत खूब
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